बाल विवाह रोकथाम अभियान की मोबाइल जागरूकता वैन को हरी झंडी दिखाई

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देश के विकास का रास्ता महिलाओं के विकास से होकर ही जाता है–न्यायाधिपति श्री एम.एन. भंडारी

जयपुर, 17 अप्रेल :: राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधिपति श्री एम.एन. भंडारी ने रविवार को टोंक में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्वावधान में बाल विवाह रोकथाम अभियान की मोबाइल जागरूकता वैन एवं महिला एवं बाल विकास विभाग की आंगनबाड़ी कार्यकत्र्ताओं को हरी झंडी दिखाकर अभियान का विधिवत शुभारंभ किया। इस अवसर मंच पर जिला न्यायाधीश नरेन्द्र सिंह ढढ्ढा, जिला कलेक्टर डॉ. रेखा गुप्ता, जिला पुलिस अधीक्षक प्रीति जैन, जिला अभिभाषक संघ के बार अध्यक्ष श्री चन्द्रप्रकाश श्रीवास्तव भी मौजूद थे।

शुभारंभ समारोह के मुख्य अतिथि न्यायाधिपति श्री एम.एन. भंडारी ने अपने उद्बोधन में कहा कि किसी भी देश के विकास का रास्ता महिलाओं के विकास से होकर ही जाता है। बाल विवाह होने से स्त्री व पुरूष का शारीरिक व मानसिक विकास प्राकृतिक रूप से नही हो पाता है और बाल विवाह का सबसे अधिक बुरा प्रभाव महिलाओं पर होता है।

न्यायाधिपति ने कहा कि यह प्रसन्नता की बात है कि टोंक जिले में बाल विवाह होने के प्रकरणों में कुछ वर्षों से निरंतर कमी आ रही है। उन्होंने बाल विवाह रुकवाने वाली निडर छात्रा रोशनी बैरवा का उदाहरण देते हुये कहा कि जो बच्चे अपना बाल विवाह रुकवाते हैं, जिला प्रशासन की ओर से ऎसे बच्चों की पढ़ाई व भावी जीवन के विकास को लेकर कार्य किया जाना चाहिये जिससे समाज में एक सकारात्मक संदेश जा सके। उन्होंने आशा प्रकट करते हुये कहा कि टोंक जिला इस वर्ष उस रूप में अपने को स्थापित करेगा, जहां एक भी बाल विवाह की शिकायत और प्रकरण न आये। अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण एवं जिला एवं सेशन न्यायाधीश श्री नरेन्द्र सिंह ढढ्ढा ने कहा कि हमारा देश सामााजिक विविधताओं से परिपूर्ण है, जहां विभिन्न जाति, धर्म के लोग निवास करते हैं।

समाज में विद्यमान अनेक सामाजिक कुरीतियों में से बाल-विवाह की रोकथाम के लिये बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 पारित किया गया, जिसके तहत लड़के की 21 वर्ष एवं लड़की की 18 वर्ष आयु निर्धारित की गई है। उन्होंने कहा कि बाल विवाह में किसी भी तरह का सहयोग करने अथवा शामिल होने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्यवाही की जाती है। जिसके तहत 2 वर्ष का कारावास व 1 लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान है। जिला कलेक्टर डॉ. रेखा गुप्ता ने कहा कि जिले में बाल विवाह को रोकने के लिये विविध गतिविधियां आयोजित की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि जिला स्तर पर बाल विवाह रोकथाम नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है जिस पर कोई भी व्यक्ति बाल विवाह से संबंधित सूचना दर्ज करा सकता है।

इससे पूर्व मंचासीन अतिथियों ने मां सरस्वती की तस्वीर पर माल्यार्पण कर नमन किया। मुख्य अतिथि, न्यायाधिपति एम.एन. भंडारी को साफा पहनाकर एवं माल्यार्पण कर स्वागत किया गया। कार्यक्रम में जिला एवं सेशन न्यायाधीश श्री नरेन्द्र सिंह ढढ्ढा द्वारा माननीय न्यायाधिपति को स्मृति चिन्ह भेंट किया गया। मंचासीन अतिथियों ने छात्रा रोशनी बैरवा को स्वयं का बाल विवाह रुकवाने के साहसिक कदम पर प्रशस्ति पत्र भेंट किया। —