Jananpith Director Leeladhar Mandloi felicitated with Sonindar Award 2017

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लीलाधर मंडलोई पुणे में सोनइन्दर सम्मान २०१७ से सम्मानित 

  

आतंकवाद समेत अनेकानेक समस्याएं सता रही हैंफ़िर भी आम आदमी चुप्पी साधे बैठा है. लेखक भी इन समस्याओं के बारे में गंभीर नहीं हैं. नेता झूठे आश्वासन देकर जनता को बरगला रहे हैंफिर भी सब चुप हैं!  सड़कों की जगमग रोशनी में हम चमकीले अंधरे में गुम हो रहे हैं. हमारी आवाज़ खो रही है‘. लीलाधर मंडलोई सोनइन्दर सम्मान – २०१७ से  सम्मानित होने पर अपने विचार व्यक्त किए. समारोह के अध्यक्ष डॉ. दामोदर खड़से  ने उन्हें सोनइन्दर सम्मान – साहित्य महासागर‘ से विभूषित किया। इस अवसर पर मराठी के सुपरिचित साहित्यकार डॉ शरणकुमार लिम्बाले मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे. 

 

लीलाधर मंडलोई ने आगे कहा कि नेता झूठे आश्वासनों की धुल झोंक रहे हैं. चुनाव आश्वासनों के दम पर लड़े जा रहे हैं. धर्म व जाति को मुद्दा बनाकर समाज में डर पैदा किया जा रहा हैऐसे में जन साधारण चुप हैं. ऐसे कठिन समय में सामान्य जन स्तिथियों को जाने-परखें. धर्म के कुछ ठेकेदारों ने धर्म के नाम पर धर्म के नाम पर मनमानी करने की ठानी है. प्रेमी युगलों को फांसी पर चढ़ाया जा रहा है. तीन तलाक से स्त्रियों का जीवन बर्बाद किया जाता है. ऐसे समय में हमें जन्म देने वालीप्यार व दुलार देने वालीलालन- पालन करने वाली स्त्री क्यों दिखाई नहीं देतीयह कहते हुए उन्होंने तथाकथित धर्म्रक्षकों को खरी-खरी सुनाई.

 

डॉ दामोदर खड़से ने लीलाधर मंडलोई के व्यक्तित्व और साहित्यिक अवदान की चर्चा करते हुए उनकी दिल्ली‘ और आग‘ कविता का उल्लेख किया और स्पष्ट किया कि श्री मंडलोई ने वैचारिक स्वतंत्रता के अतुलनीय सृजनात्मक योगदान दिया है. डॉ. शरणकुमार लिम्बाले ने हिंसा के खिलाफ़ लेखकीय दायित्व का विशेष उल्लेख किया. इस अवसर पर ह्रदयेश मयंक (हिंदी)लोकनाथ यशवंत (मराठी)देवदास बिस्मिल (उर्दू) व गजानन चव्हाण (अनुवाद) को सोनइन्दर सम्मान २०१७ ‘ से सम्मानित किया गया. शेखावत परिवार  द्वारा  ठाकुर  साहब  इन्दर  सिंह जी शेखावत की स्मृति में हिंदी  उर्दू व मराठी काव्य में  अतुलनीय  योगदान के  लिए    प्रदान किया  किया जाता  है. कार्यक्रम की प्रस्तावना डॉ सुनील देवधर  ने की. कार्यक्रम में विष्णु मनोहरडॉ राजेन्द्र श्रीवास्तवअशोक भाम्बुरेसंजय भारद्वाजरमेश राजहंस व टीकम शेखावत उपस्थित थे.